रंग ज़िंदगी में हों या शायरी में खूबसूरती में इज़ाफ़ा करते हैं.
उर्दू शायरी (Urdu Shayari) में मुहब्बत (Love) की बात की गई है. जहां इसमें दर्दे-जुदाई से लबरेज़ जज़्बात (Emotion) को जगह दी गई है, इसी तरह शायरी में रंगों की भी बात की गई है…
- News18Hindi
- Last Updated:
September 15, 2020, 12:55 PM IST
किसी कली किसी गुल में किसी चमन में नहीं
वो रंग है ही नहीं जो तेरे बदन में नहीं
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लब-ए-नाज़ुक के बोसे लूं तो मिस्सी मुंह बनाती है
कफ़-ए-पा को अगर चूमूं तो मेहंदी रंग लाती है
आसी ग़ाज़ीपुरी
अब की होली में रहा बेकार रंग
और ही लाया फ़िराक़-ए-यार रंग
इमाम बख़्श नासिख़
तमाम रात नहाया था शहर बारिश में
वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे
जमाल एहसानी
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किस की होली जश्न-ए-नौ-रोज़ी है आज
सुर्ख़ मय से साक़िया दस्तार रंग
इमाम बख़्श नासिख़
दश्त-ए-वफ़ा में जल के न रह जाएं अपने दिल
वो धूप है कि रंग हैं काले पड़े हुए
होश तिर्मिज़ी
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अजब बहार दिखाई लहू के छींटों ने
ख़िज़ां का रंग भी रंग-ए-बहार जैसा था
जुनैद हज़ीं लारी
मुझ को एहसास-ए-रंग-ओ-बू न हुआ
यूँ भी अक्सर बहार आई है
हबीब अहमद सिद्दीक़ी