2014 में सत्ता में आने के बाद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अलग-अलग मंचों से इस मुद्दे को लगातार उठाते रहे हैं.
One Nation One Election: वर्ष 2014 में सत्ता के आने के बाद मोदी एक ‘‘राष्ट्र, एक चुनाव’’ के विचार पर बल देते हुए इसकी पुरजोर वकालत करते रहे हैं. उनका मानना है कि आए दिन चुनाव होने से विकास की प्रक्रिया बाधित होती है.
- News18Hindi
- Last Updated:
December 26, 2020, 10:58 PM IST
पार्टी सूत्रों के मुताबिक डिजिटल माध्यम से आयोजित होने वाले इन वेबिनार कार्यक्रमों में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के अलावा शिक्षा और कानून जगत की प्रमुख हस्तियों को जोड़ा जाएगा. पार्टी के एक नेता ने बताया, ‘‘इस महीने के अंत तक हम 25 से अधिक वेबिनार का आयोजन करने की योजना बना रहे हैं.’’
एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव करवाने की सिफारिश
वर्ष 2014 में सत्ता के आने के बाद मोदी एक ‘‘राष्ट्र, एक चुनाव’’ के विचार पर बल देते हुए इसकी पुरजोर वकालत करते रहे हैं. उनका मानना है कि आए दिन चुनाव होने से विकास की प्रक्रिया बाधित होती है. ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ का तात्पर्य स्थानीय निकायों से लेकर विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव एक साथ कराना है.हाल ही में पीठासीन अधिकारियों के 80वें अखिल भारतीय सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’’ के विचार पर खासा बल दिया था और इसे भारत की आवश्यकता बताया था.
पार्टी ने बताया देश की जरूरत
उन्होंने कहा था, ‘‘एक राष्ट्र, एक चुनाव सिर्फ एक चर्चा का विषय नहीं है, बल्कि ये भारत की जरूरत है. हर कुछ महीने में भारत में कहीं न कहीं बड़े चुनाव हो रहे होते हैं. इससे विकास के कार्यों पर जो प्रभाव पड़ता है, उसे आप सब भली-भांति जानते हैं. ऐसे में इस मुद्दे पर गहन अध्ययन और मंथन आवश्यक है.’’
उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति बी एस चौहान के तहत विधि आयोग ने कुछ साल पहले यह सिफारिश की थी कि सरकारी धन बचाने के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए. हालांकि , कानून मंत्रालय को सौंपे गए मसौदे में आगाह किया गया था कि संविधान की मौजूदा व्यवस्था के अंदर एक साथ चुनाव कराए जाने संभव नहीं हैं. इसने संविधान और निर्वाचन कानूनों में संशोधन की सिफारिश की थी.